नयी दिल्ली| देश में मिसाइल प्रणाली के जनक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आज हमारे बीच भले नहीं हैं, लेकिन उनकी बातें, उनके विचार सभी के जेहन में जिंदा हैं| उनकी मृत्यु इसी वर्ष 27 जुलाई को शिलॉंग में हुई थी| कलाम का यह कथ्य कि “सपना वह नहीं, जो आप नींद में देखते हैं| यह तो एक ऐसी चीज है, जो आपको नींद ही नहीं आने देती” उनके निधन के बाद हर किसी की जुबान पर है| मिसाइल मैन के तौर पर विख्यात दिवंगत कलाम का जीवन वर्तमान और भविष्य की उन तमाम पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है, जो मेहनत के बल पर अपने भाग्य की रचना करने की क्षमता रखते हैं|
भारतीय गणतंत्र के 11वें निर्वाचित राष्ट्रपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति रहे हैं, जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया| जनता के राष्ट्रपति के रूप में लोकप्रिय अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक निम्न मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था| उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और माता आशियम्मा गृहणी थीं|
कलाम अपने पिता की आर्थिक रूप से मदद के लिए अखबार भी बेचते थे| उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर अपनी शिक्षा पूरी की| कलाम ने 1958 में तकनीकी केन्द्र (सिविल विमानन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक का कार्यभार संभाला और अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने प्रथम वर्ष में ही एक पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार कर अपने जीवन के स्वर्णिम सफर की शुरुआत की|
1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ने के बाद उन्होंने वहां विभिन्न पदों पर कार्य किया| उन्होंने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी.एस. अरुणाचलम के मार्गदर्शन में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम की शुरुआत की| इसके तहत त्रिशूल, पृथ्वी, आकाश, नाग, अग्नि और ब्रह्मोस मिसाइलों का उन्होंने विकास किया|
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर जानते हैं कुछ विशेष बातें –
आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे| सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे| ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे|
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे| इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया| 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया| कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया| उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं|
1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे| इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया| कलाम ने विजन 2020 दिया| इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई| कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे|
कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया| सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया| इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई| ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है| इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया|