नयी दिल्ली। भारत का परमाणु कार्यक्रम विकासशील देशों में सबसे बड़ा है। यह कहना है अमेरिका स्थित एक विचार समूह का। उनके मुताबिक, 2014 के अंत तक भारत के पास पर्याप्त मात्रा में हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम था और परमाणु हथियारों की अनुमानित संख्या 75 से 125 थी।
इंस्टीट्यूट फार साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि हथियार बनाने योग्य प्लूटोनियम के स्टाक से भारत द्वारा बनाये गए परमाणु हथियारों की संख्या वास्तव में इससे कम होगी। जब परमाणु हथियार बनाने में प्लूटोनियम की मात्रा और इसके भंडार पर गौर करते हैं तब यह कहना व्यवहारिक होगा कि हथियार बनाने योग्य यूरेनियम के भंडार का केवल 70 प्रतिशत ही परमाणु हथियार में उपयोग किया गया होगा।
रिपोर्ट के लेखकों डेविड ऑलब्राइट और सेरेना केलेहर वरगांटिनी का अनुमान है कि भारत के पास 100-200 किलोग्राम हथियार बनाने योग्य यूरेनियम है। उनके अनुसार भारत के पास परमाणु हथियारों की अनुमानित संख्या 75 से 125 के बीच होगी। दिलचस्प है कि पहले ऑलब्राइट भारत अमेरिकी परमाणु समझौते के खिलाफ अमेरिकी संसद में अभियान चला चुके हैं।
पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। अपने अमेरिका दौरे पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत में स्वीकार किया है कि पाकिस्तान ने टैक्टिकल परमाणु हथियारों का विकास किया है और उन्हें युद्ध की स्थिति के लिए तैनात किया है। उधर भारत और नॉर्वे के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद नॉर्वे ने कहा है कि वह न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप और मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम के साथ साथ सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन करता है। नॉर्वे के पास अपना परमाणु बिजली घर नहीं है लेकिन उसके पास चार परीक्षण बिजली घर हैं।
भारत अमेरिकी परमाणु समझौते के बाद से दुर्घटना की स्थिति में जिम्मेदारी के मुद्दे पर विवाद रहा है। छोटे सप्लायरों के लिए बड़ी राहत देते हुए भारत सरकार ने फैसला किया है कि परमाणु ऊर्जा उद्योग के छोटे सप्लायरों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं माना जाएगा और लेकिन रिएक्टर बनाने वाली बड़ी कंपनियों को इस जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जाएगा।