नयी दिल्ली। अटॉर्नी जनरल ने मंगलवार को कोलेजियम सिस्टम में सुधार पर सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जजों की नियुक्ति से पहले बार काउंसिल की राय ली जानी चाहिए। मुकुल रोहतगी में सरकार की ओर से दिए गए सुझावों में यह भी कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर एक निर्धारित मानदंड को सार्वजनिक किया जाना आवश्यक है ।
केंद्र ने यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उन्हें सुझावों की लंबी फेहरिस्त मिली है। तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा, ‘हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कोलेजियम सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए चार मुद्दों का खयाल रखना जरूरी है। इसके लिए पारदर्शिता, न्यूनतम योग्यता, कोलेजियम सेक्रेटरी और भावी नियुक्ति के बाद शिकायतों से निपटने पर ध्यान देना होगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 16 अक्टूबर 2015 के फैसले में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) को खारिज कर दिया था। इसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव मांगे थे।
मंगलवार को अटॉर्नी जनरल ने सरकार की ओर से कोर्ट में दिए ये सुझाव
कोलेजियम को एक खास व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त करने के दौरान कारणों का उल्लेख जरूर करना चाहिए।
न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर एक निर्धारित मापदंड को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।नियुक्ति के लिए न्यूनतम पात्रता को सार्वजनिक करना चाहिए।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जिन लोगों की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है, उनके नामांकन को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।