गुहला। कहते हैं पढने की कोई उम्र नहीं होती है और अगर इच्छाशक्ति मजबूत है तो आप किसी भी उम्र में अपने आप को साबित कर सकते हैं।
ऐसे ही एक दास्तान है हरियाणा स्थित गुहला के विधायक कुलवंत बाजीगर की, जिन्होंने उम्र के 38वें पड़ाव पर पहुंच जाने के बाद भी अपनी पढ़ाई का सपना बरकरार रखा। इस समय कुलवंत 12वीं की परीक्षा दे रहे हैं।
इसमें विधायक ने एग्जाम की तैयारी किसी और से नहीं बल्कि अपने ही बेटे से ट्यूशन लेकर की है। विधायक बाजीगर लगभग सभी पेपर दे चुके हैं। इनका आखिरी पेपर 21 को है। पेपर फिजिकल एजूकेशन का है। ये पेपर आसान ही है तो ज्यादा चिंतित नहीं हैं।
उम्र के इस पड़ाव पर आकर पढऩे का ख्याल पर उन्होंने कहा कि “पढऩे लिखने की कोई उम्र नहीं होती। दरअसल अनपढ़ आदमी की कहीं कोई कद्र नहीं है। राजनीति में तो बिल्कुल नहीं। पहले कभी होती रही होगी। आज तो अनपढ़ को सियासत में कोई भाव नहीं देता। फिर रोज नई-नई योजनाएं। नई-नई बातें। खुद की समझ में आएंगी तभी तो लोगों को बता पाएंगे”।
दिलचस्प बात ये है कि इसी साल बाजीगर के बड़े बेटे साहिब सिंह ने भी सीबीएसई की बारहवीं की परीक्षा दी है और छोटे बेटे ने 10वीं के पेपर दिए हैं।
विधायक बाजीगर आगे बताते हैं कि सरकार बनते ही विधायकों को लैपटाप मिले थे। मुझे भी मिला था पर कैसे क्या होगा ये नहीं पता था। सीखना शुरू किया तो कुछ ही दिनों में समझ में आने लगा।
धीरे धीरे इंटरनेट इस्तेमाल करना आ गया। फेसबुक चलाना आ गया। फिर सोचा कि जब इस उम्र में कंप्यूटर चलाना आ सकता है तो आगे की पढ़ाई क्यों नहीं हो सकती। कुलवंत बाजीगर बताते हैं कि इसी प्रेरणा के चलते ओपन स्कूल से 12वीं का फार्म भर दिया।