नई दिल्ली| प्रियंका वाड्रा ने 14 साल पहले वाजपेयी सरकार के दौरान सरकारी बंगले का किराया कम करने की अपील की थी। प्रियंका को 2765 स्क्वायर मीटर में फैले लुटियंस जोन के बंगले का किराया 53,421 रुपये महीना देने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने 8,888 रुपये प्रति महीने ही दिया।
नोएडा के देवाशीष भट्टाचार्य ने इस संबंध में एक आरटीआई दाखिल की थी जिसके जवाब में कहा गया कि 8 जुलाई 2003 के कैबिनेट कमेटी के नोट के मुताबिक यह माना गया है कि प्रियंका गांधी प्राइवेट सिटीजंस हैं और सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें तय नियम के हिसाब से ही घर दिए गए हैं। वे लाइसेंस फीस रेट के हिसाब से रेंट नहीं दे सकते। लिहाजा इसकी समीक्षा की गई।
प्रियंका गांधी फिलहाल लोधी एस्टेट के टाइप-6 सरकारी बंगले में रहती हैं। इसके लिए वे हर महीने 31,300 रुपये चुकाती हैं।
आरटीआई के मुताबिक, 7 मई 2002 को प्रियंका गांधी ने सरकार को खत लिखा था कि 53 हजार 421 रुपए हर महीने किराया देना उनकी हैसियत से बाहर है क्योंकि यह बहुत ज्यादा है। प्रियंका ने सरकार को सूचित किया था कि उन्होंने यह बंगला एसपीजी के आग्रह पर लिया है और इसके बड़े हिस्से पर एसपीजी ही काबिज है। चिट्ठी में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बेटी ने कहा कि वह पूल हाउस में रहती हैं, इसकी वजह सुरक्षा है।
डायरेक्टर ऑफ एस्टेट्स के मुताबिक, 35 लोधी एस्टेट का बंगला प्रियंका को 21 फरवरी 1997 में 19000 रुपये महीने के हिसाब से किराये पर दिया गया था। इसके बाद किराए की समीक्षा की गई थी। विभाग के मुताबिक, बाजार दर को देखें तो अब इसका किराया 81,865 रुपये महीना है।
प्रियंका पर 31 जनवरी 2004 को 3.76 लाख रुपये का बकाया भी था। कैबिनेट कमेटी के नोट से खुलासा हुआ कि जिन लोगों को सरकार ने बंगले दिए हैं, उसकी वजह सुरक्षा है। ये लोग बाजार दर के हिसाब से किराया नहीं दे सकते।