लखनऊ। शोध के अनुसार, लगभग 50 साल की उम्र तक के लोगों को कम-से-कम एक बार पाइल्स की समस्या हो चुकी होती है। 70 वर्ष के ऊपर तो पाइल्स दर 85% के ऊपर है जो चिंताजनक है। इसलिए सभी चिकित्सकों को पाइल्स की जांच और इलाज के लिए चिकित्सकीय मानक अपनाने चाहिए। यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत प्रो. रमाकान्त का।
प्रो. रमाकान्त बताते हैं कि बवासीर दोनों पुरुषों और महिलाओं में आम है। चिरकालिक कब्ज़, बार-बार होने वाले दस्त, मोटापा, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम न करना, शौच के दौरान जोर लगाना और लम्बे समय तक बैठे रहना, आदि कुछ कारण हैं। जिसके वजह से पाइल्स या बवासीर होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है।
“बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा उपचार में रोगी कुछ ही घंटे अस्पताल में रह कर, दूसरे दिन से ही सामान्य रूप से कार्य कर सकता है।” बगैर चीरा लगाए, एक अत्याधुनिक विधि के द्वारा बवासीर का इलाज किया जा सकता है।
दरअसल, विश्व पाइल्स (बवासीर) दिवस (20 नवम्बर) के अवसर पर इंदिरा नगर के सी-ब्लाक चौराहा स्थित पाईल्स तो स्माइल्स केंद्र में ने नि:शुल्क कैंप लगाया जहाँ अनेक मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श मिला और कुछ दवाएं भी वितरित की गयीं।