पेरिस। फ़्रांस सरकार आतंकी घटनाओं को लेकर अब भी सशंकित है। खुद पीएम मैन्युअल वाल्स को लगता है कि आतंकी हमला कर सकते है। उनकी आशंका के मुताबिक, इस्लामिक आतंकियों की रासायनिक (कैमिकल) या जैविक हथियारों से हमले कर सकते हैं।
आपातकाल की स्थिति को विस्तार दिए जाने के लिए हुई चर्चा में सांसदों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह चेतावनी दी। वाल्स ने कहा कि, ‘हमें किसी भी आशंका से इंकार नहीं करना चाहिए। इसके लिए तमाम सतर्कता बरते जाने की जरूरत हैं।’ पेरिस में आतंकवादी हमलों के मद्देनजर उठाए जाने वाले कदमों पर संसद में हुई बहस में प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि रासायनिक या जैविक हथियारों से हमले का खतरा है।’
रासायनिक हथियारों के तहत आतंकवादी ऐसे जहरीले रसायनों का इस्तेमाल कर सकते हैं जो कम कीमत में बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं। इन्हें भी परमाणु और जैविक हथियारों के साथ भारी तबाही मचाने वाले हथियारों की श्रेणी में रखा जाता है। रासायनिक हथियारों के तहत ऐसी कई जहरीली गैसें आ सकती हैं जिन्हें तीनों अवस्थाओं में यानी गैस के तौर पर तरल या ठोस अवस्था में इस्तेमाल किया जा सकता है।
नर्व गैस, टियर गैस और पैपर स्प्रे इन रासायनिक हथियारों के तीन आधुनिक उपकरण हैं। जेनेवा संधि के तहत किसी भी युद्ध में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद कई मौकों पर इनका इस्तेमाल सामने आता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के मुताबिक, ईरान-इराक युद्ध के दौरान इराक ने कई मौकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। 1983 में मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया जबकि 1985 में नर्व गैस का इस्तेमाल किया। 16 मार्च 1988 को इराक ने अपने ही हलाबज़ा इलाके के कुर्दों पर रासायनिक बम गिराए जिनमें मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया गया। अनुमानों के मुताबिक, इनके तहत 3200 से 5000 तक लोग मारे गए। जो लोग बचे भी वो लंबे समय तक सेहत से जुड़ी परेशानियों से लड़ते रहे