नई दिल्ली। देश भर में असहिष्णुता को लेकर एक लम्बी बहस चल रही है| इस बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अवॉर्ड वापस करने वाले साहित्यकारों और फिल्मकारों को नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि देश में होने वाली घटनाओं पर बहस होनी चाहिए, अवॉर्ड वापसी नहीं।उन्होंने कहा कि अवॉर्ड्स पाने वालों को इसका सम्मान करना चाहिए और इसकी कद्र करनी चाहिए।
गौरतलब है कि हाल ही में देश के कई बड़े फिल्मकारों और लेखकों ने कथित तौर पर बढ़ रहे असहिष्णुता को वजह बताकर साहित्य अकादमी पुरस्कार और नेशनल अवॉर्ड वापस किए हैं। इस बीच प्रणब मुखर्जी ने अवॉर्ड वापस करनेवालों को नसीहत देते हुए कहा है कि मतभेद को दूर करने के लिए चर्चा करें। खुद को मिले अवॉर्ड का सम्मान करें और उसे संजोकर रखें।
उन्होंने कहा, “अवॉर्ड किसी को उसके कार्य को देखते हुए सम्मान के तौर पर दिया जाता है। ऐसे में उसका आनंद उठाना चाहिए।” हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि कभी कभी समाज में घट रही घटनाओं को लेकर संवेदनशील लोगों को परेशानी होती है। प्रणब ने कहा भावना में बहकर तर्क को नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि असहमति को बहस के जरिए दिखाना ज्यादा बेहतर तरीका होता है।
आपको बता दें कि गोमांस रखने के शक में यूपी के दादरी में एक शख्स की हत्या और कन्नड़ लेखक कलबुर्गी के मर्डर के बाद अवॉर्ड वापसी की शुरुआत हुई। इस घटना के बाद 40 से ज्यादा लेखकों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए जबकि 13 इतिहासकार और कुछ वैज्ञानिकों ने भी राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए हैं। दिबाकर बनर्जी को लेकर 10 फिल्मकारों ने नेशनल अवॉर्ड लौटाए। सिर्फ यही नहीं लेखिका अरुंधति रॉय और फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के डायरेक्टर कुंदन शाह ने नेशनल अवॉर्ड लौटाने का एलान किया। उनके साथ 24 और फिल्मकारों ने अवॉर्ड लौटा दिए।
इन सभी का आरोप है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है। मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही। पीएम भी चुप्पी साधे हुए हैं। इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई मंत्रियों ने कहा है कि दादरी केस और कलबुर्गी की हत्या जैसे मामलों के लिए सीधे पीएम पर सवाल उठाना सही नहीं है। वहीं, अवॉर्ड वापसी के अभियान के खिलाफ भी कुछ लोगों ने अलग मुहिम शुरू की है। पिछले दिनों एक्टर अनुपम खेर ने मार्च फॉर इंडिया निकालकर अवॉर्ड लौटा रहे लोगों का विरोध किया।