नयी दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का भारत के प्रति रवैय्या तल्ख़ है। उन्होंने ने भारत से अघोषित नाकेबंदी को फौरन खत्म करने को कहा है ताकि द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने में मदद मिल सके। प्रधानमंत्री ने यह आह्वान नेपाल के नए संविधान को लेकर हालिया राजनीतिक संकट के बीच किया है।
आंदोलन कर रही मधेसी पार्टियों से उनके विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने का आह्वान करते हुए ओली ने आश्वासन दिया कि संविधान का संशोधन किया जाएगा और आंदोलन कर रही पार्टियों की मांग को पूरा करने के लिए सभी के बीच बनी सहमति के आधार पर प्रांतों का फिर से सीमांकन किया जाएगा।
पिछले माह पद संभालने के बाद पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि नेपाल का संविधान प्रक्रिया और विषय वस्तु के लिहाज से सर्वोत्तम है। वह बोले, हम चाहते हैं कि अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध संयुक्त राष्ट्र चार्टर एवं पंचशील सिद्धांतों के आधार पर आपसी समानता और हितों के अनुरूप बनाये जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मानना है कि हम बातचीत के जरिये किसी भी गलतफहमी को दूर कर सकते हैं। पंचशील सिद्धांत राष्ट्र के संबंधों को परिभाषित करने वाले सिद्धांत हैं। चीन और भारत के बीच 1954 में हुए एक समझौते के तहत इन सिद्धांतों को पहली बार औपचारिक स्वरूप दिया गया था।
ओली ने पड़ोसी देशों से नेपाल की सीमाई अंखडता, राष्ट्रीय संप्रभुता एवं स्वतंत्रता का सम्मान करने को कहा। भारत से शीघ्र नाकेबंदी खत्म करने का आहवान करते हुए उन्होंने कहा, वर्तमान नाकेबंदी युद्धकालीन स्थिति से भी बदतर है।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में दवाओं और आपात स्थिति के लिए भी रक्त की कमी हो गयी है। रसोई गैस के अभाव में लोग खाना भी नहीं पका पा रहे हैं। यह सब परिवहन नाकेबंदी के फलस्वरूप है।
भारत ने नाकेबंदी लगाये जाने का कड़ाई से इंकार करते हुए कहा कि नेपाल के नए संविधान को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद बाद ट्रक चालक अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हिंसा की इन घटनाओं में 40 से अधिक लोग मारे गये थे।