मधेशियों का प्रदर्शन, नेपाली पुलिस फायरिंग में भारतीय की मौत

पटना। भारत और नेपाल को जोड़ने वाले पुल पर प्रदर्शन कर रहे मधेसियों पर नेपाल पुलिस की फायरिंग में एक भारतीय की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हुए हैं। इस पुल पर पिछले 40 दिनों से मधेसी समुदाय के लोग नेपाल के नए संविधान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।

मिल रही जानकारी के मुताबिक, सोमवार सुबह जब प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया जाने लगा तो शुरुआत में उन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। जिसके बाद पुलिस ने उन पर बल का प्रयोग किया। नेपाली पुलिस ने मधेसी प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसायी और उनके तंबुओं को जला डाला। पुलिस कार्रवाई के बाद 40 दिनों में पहली बार मुख्य बीरगंज-रक्सौल सीमा स्थल को खोला दिया गया। हालांकि विरोध प्रदर्शन बढ़ने के साथ सीमा को फिर से सील कर दिया गया है। यहाँ मधेसियों के प्रदर्शन के कारण पिछले एक महीने से ना तो भारत से कोई ट्रक नेपाल जा रहा था और ना ही कोई ट्रक नेपाल से भारत आ पा रहा था। नेपाल का आरोप है कि भारत मधेसियों के इस आंदोलन का समर्थन दे रहा है।

नेपाल के तराई क्षेत्र के भारतीय मूल के बाशिंदो के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले मधेसी रक्सौल के निकट मुख्य कारोबार स्थल के नजदीक प्रदर्शन कर रहे थे। इस रास्ते के जरिये करीब 70 प्रतिशत द्विपक्षीय कारोबार होता है। उनके आंदोलन के कारण जरूरी सामान की आपूर्ति रुक गई है जिससे नेपाल में ईंधन का घोर संकट पैदा हो गया था। देश के नए संविधान को लेकर नेपाल सरकार और मधेसी समूहों के बीच वार्ता बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई लेकिन उपप्रधानमंत्री कमल थापा ने कहा कि वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।
मधेसी मोर्चे की प्रमुख मांगों में संघीय प्रांतों को फिर से चिह्नित करने तथा और अधिकारों का समावेश करने और भारतीय मूल के मधेशी लोगों का प्रतिनिधित्व किया जाना शामिल है। हालिया प्रदर्शन में जान गंवाने वालों को शहीद का दर्जा, घायलों का मुफ्त इलाज, पीड़ित परिवारों को मुआवजा और तराई जिले से सुरक्षा बल हटाने समेत कुछ अन्य मांगे हैं। गठबंधन दो महीने से ज्यादा समय से लागू नए संविधान के सात प्रांत मॉडल के खिलाफ दक्षिणी नेपाल के विभिन्न भागों में प्रदर्शन कर रहा है।

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