लखनऊ। उच्च रक्तचाप की बीमारी आम जीवन शैली की बीमारियों में से एक है । हर तीसरा व्यक्ति जिससे हम मिलते हैं, वह इस बीमारी से ग्रसित हैं एवं विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं।
केजीएमयू के डाॅ. कौसर उस्मान ने बताया कि काफी लोगों को यह भी पता नहीं है कि वह इस बीमारी से ग्रसित हैं जिससे स्थिति और भी भयानक होती जा रही है। उच्च रक्तचाप भविष्य में एक महामारी का रूप भी ले सकती है एवं वर्ष 2020 तक आबादी का हर तीसरा व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित होगा। इसके मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार शहरी आबादी की 20 से 40 प्रतिशत एवं ग्रामीण आबादी के 12 से 17 प्रतिशत व्यक्ति उच्च रक्तचाप की बीमारी से भारत में ग्रसित हैं।
डाॅ. उस्मान के अनुसार, जिस व्यक्ति की उम्र 30 वर्ष से अधिक है, उसको अपना रक्तचाप समय-समय पर जाँच करवाते रहना चाहिए यदि आपका रक्तचाप लगातार 140/90 से ऊपर आ रहा है तो उसको गम्भीरता से लें एवं चिकित्सक से परामर्श करें ।
डाॅ. अतुल श्रीवास्तव के मुताबिक, उच्च रक्तचाप की रोकथाम के लिए लोगों को सक्रिय जीवन शैली को अपनाना चाहिए जिससे कि उनका वजन कम होगा। वजन कम करने से ही मरीज अपने रक्तचाप को स्थिर कर सकते हैं। स्वास्थ्यप्रद भोजन का सेवन करके व बिना धूम्रपान किये तथा शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर रक्तचाप को स्थिर रख सकते हैं ।
अगर बदले बलगम का रंग तो हो सकती है सीओपीडी
राजधानी के वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ डाॅ. बीपी सिंह एवं डाॅ. एके सिंह ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 4 लाख लोगों की मौत फेफड़े की बीमारी की वजह से होती है । अधिकतर लोग फेफड़े की बीमारी को अनदेखा करते हैं जब कि पूरे विश्व में सबसे अधिक मौतें अन्य बीमारियों की अपेक्षा फेफड़े की बीमारी से होती है। अगर किसी भी मरीज की साॅस कई दिन से लगातार फूल रही है एवं बलगम का रंग भी बदल गया है तो वह सीओपीडी से ग्रसित हो सकता है। यह बीमारी पर्यावरण प्रदूषण या किसी जीवाणु के संक्रमण से अचानक बढ़ सकती है। 25प्रतिशत मामलों में बैक्टीरिया, अन्य 25प्रतिशत में वाॅयरस और 25प्रतिशत मामले दोनों में हो सकते हैं। सीओपीडी की बीमारी फेफड़ों की बीमारी है जिसमें साॅस की नलियाँ संक्रमित हो जाती हैं जिससे साॅस को लेने और छोड़ने में परेशानी होती है। सिगरेट की लत सीओपीडी की सबसे प्रमुख वजह है। डाॅ. एसएस गुप्ता ने बताया कि सीओपीडी को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है अपितु उचित दवा एवं व्यायाम के द्वारा इसको कन्ट्रोल रखकर एक सामान्य जीवन जी सकते हैं । समाज में लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सीओपीडी छुआछूत की बीमारी नहीं है।
डाॅ0 बी0पी0 सिंह ने बताया कि सीओपीडी का मरीज यदि धूम्रपान करना बन्द नहीं करता तो यह उसके लिए जानलेवा होगा। डाॅ. आनन्द कुमार ने जानकारी दी कि सीओपीडी के कुछ मरीजों में शल्य क्रिया भी उपयोगी होती है।
अस्थमा के प्रति रहे सतर्क
डाॅ. सूर्यकान्त बताते हैं कि आज हिन्दुस्तान में अस्थमा की बीमारी के अच्छे डाक्टर व दवाईयाँ मौजूद हैं जिससे अस्थमा के मरीज पूर्णतया सामान्य जिन्दगी व्यतीत कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उपचार का लक्ष्य होना चाहिए कि रात में शून्य लक्षण, अस्थमा अटैक नहीं होना चाहिए। शारीरिक श्रम एवं खेलकूद की आजादी होनी चाहिए । कम से कम सैलबूटामाल का इंतजाम होना चाहिए और दवाईयाँ के विपरीत प्रभाव न के बराबर होना चाहिए। आज के समय में यह सारा लक्ष्य हासिल करना पूर्णतया सम्भव है।