नई दिल्ली। अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारे जाने को लेकर नया खुलासा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद स्थित ठिकाने पर हमला बोलने के आदेश दिए जाने से कुछ सप्ताह पहले ओबामा प्रशासन के चार शीर्ष वकील संवेदनशील कानूनी मुद्दों को सुलझाने के लिए गोपनीय ढंग से काम कर रहे थे। इन कानूनी मुद्दों में पाकिस्तानी धरती पर उसकी सहमति के बिना बल भेजने का मुद्दा भी शामिल था। यह दावा एक नई रिपोर्ट में किया गया है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, द न्यूयॉर्क टाईम्स की खबर में बताया गया है कि किस तरह से सीआईए के जनरल काउंसिल स्टीफन प्रेस्टन, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की कानूनी सलाहाकार मैरी डीरोजा, पेंटागन के जनरल काउंसिल जे जॉनसन और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के तत्कालीन कानूनी सलाहाकार रियर एडमिरल जेम्स क्रॉफोर्ड ने उन कानूनी बाधाओं से उबरने के लिए बेहद गोपनीयता से काम किया, जो कि मई 2011 की छापेमारी के बाद पेश आ सकती थीं।
इन चार वकीलों का काम इतना गोपनीय था कि व्हाइट हाउस ने इसका खुलासा होने के डर से उन्हें प्रशासन के शीर्ष वकील अटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर से भी संपर्क करने नहीं दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि होल्डर को इस छापेमारी से महज एक दिन पहले एक मई 2011 को ही इस बारे में बताया गया। कानूनी पेंचों को इससे काफी पहले ही सुलझा लिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि वकीलों ने अपना खुद का शोध किया, बेहद सुरक्षित लैपटॉपों पर नोट लिखे और विश्वसनीय कोरियर सेवाओं की मदद से मसविदों को पहुंचाया गया।
इस छापेमारी के कुछ ही दिन पहले वकीलों ने पांच गोपनीय नोट तैयार किए थे ताकि वे बाद में यह साबित कर सकें कि इसे अंजाम देने के लिए वे तथ्यों पर आधारित कारणों से परे नहीं गए। आंतरिक चर्चाओं के जानकार अधिकारियों के अनुसार, प्रेटसन ने कहा कि हमें हमारे तर्कधारों को याद रखना होगा क्योंकि हमें हमारे कानूनी निष्कर्षों की व्याख्या के लिए बुलाया जा सकता है, खासकर तब जब कि यह ऑपरेशन बेहद खराब साबित हो जाए। एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, कानून विश्लेषण ने ओबामा प्रशासन के लिए पाकिस्तानी धरती पर बिना उसकी अनुमति के ही जमीनी बल भेजने में, एक घातक अभियान को अंजाम देने में, कांग्रेस को बताने में देरी करने में और युद्ध के समय के अपने शत्रु को समुद्र में दफन करने की राह पर्याप्त आसान कर दी।
इस छापेमारी से कुछ ही दिन पहले जॉनसन ने पाकिस्तानी संप्रभुता के उल्लंघन वाले अभियान पर एक पत्र लिखा। अमेरिका और पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए एक देश द्वारा दूसरे देश की धरती पर उसकी सहमति के बिना बल प्रयोग अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। हालांकि प्रशासन को यह डर था कि यदि अमेरिका पाकिस्तानी सरकार से बिन लादेन की गिरफ्तारी या अमेरिकी छापेमारी की अनुमति मांगता है तो इससे अभियान पर असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रशासन को डर था कि हो सकता है पाकिस्तानी खुफिया सेवा ने ही बिन लादेन की मौजूदगी को मंजूरी दी हो। यदि ऐसा होता तो पाकिस्तान से मदद मांगने का अर्थ उसे भागने का मौका देना था। रिपोर्ट में कहा गया कि वकीलों ने फैसला किया कि एकपक्षीय सैन्य छापेमारी कानूनसंगत होगी। क्योंकि जिन स्थितियों में कोई सरकार अपनी धरती से दूसरे देशों के लिए पैदा होने वाले खतरे पर काबू पाने में असमर्थ या अनिच्छुक हो, उन स्थितियों में संप्रभुता को विवादास्पद अपवाद माना जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि गुप्त सूचना के डर के चलते वकीलों ने अंत में अपवाद पर ही टिकने का निर्णय किया। वकीलों का मानना था कि ओबामा घरेलू कानून को मानने के लिए बाध्य हैं लेकिन उन्हें यह भी यकीन था एक गुप्त कार्रवाई का आदेश देते हुए वह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का फैसला कर सकते हैं। प्रेस्टन ने इस बात पर एक अन्य पत्र लिखा कि प्रशासन को गुप्त कार्रवाई से जुड़े कानून के तहत कांग्रेस के नेताओं को किस समय सचेत करना है।
रिपोर्ट में कहा गया, परिस्थितियों को देखते हुए वकीलों ने फैसला किया कि प्रशासन द्वारा छापेमारी के बाद तक अधिसूचना में देरी करना कानूनी तौर पर तर्कसंगत है। वकीलों ने यह चेतावनी भी दी थी कि युद्ध के कानून के तहत आत्मसमर्पण के व्यावहारिक प्रस्ताव को स्वीकार करना होता है।