लखनऊ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के सरपरस्ती में वहां पर बना महागठबंधन यूपी में धराशाही होता दिख रहा है। इस गठबंधन में शामिल राष्टीय जनता दल यहां पर चुनाव मैदान से दूर रहना चाहता है। वहीं कांग्रेस भी अपने दम पर यूपी में नया करिष्मा दिखाने के फिराक में है। इस तरह जनता दल यू एव कांग्रेस बिहार में भले ही साथ साथ हो लेकिन यूपी में दो दो हाथ करने की तैयारी में है।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार बिहार की तर्ज पर यूपी में भी दमदारी से चुनाव लडकर भाजपा एवं सपा के पसीने छुडाना चाहते थे। लेकिन यहां पर उन्हें कोई मजबूत साथी नहीं मिल रहा है। इसीलिए वह अेकेले ही अपना समर्थन तैयार कर रहे है। बिहार की तर्ज पर यहां भी वहषराब बंदी को मुद्दा उछाल कर जन समर्थन हासिल करना चाहते है।
जेडीयू यूपी में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ताबड़तोड़ रैलियां कर संगठन को मजबूत करने का काम कर रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रैलियों में भीड़ भी अच्छी जुट रही है. 17 जुलाई को नीतीश कुमार की इलाहाबाद में फिर रैली होने वाली है. जेडीयू आने वाले दो से तीन माह में आधा दर्जन से अधिक सभाएं करने जा रही है।. यूपी चुनाव में जेडीयू के निशाने पर बीजेपी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी भी रहेगी.।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव यूपी के चुनाव को लेकर चुप्पी साधे हुए है। हाल में पार्टी ने यहां पर स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान भी चुनाव को लेकर कोई खास चर्चा नहीं हुई। चुनाव का पूरा निर्णय राजद प्रमूख पर छोड दिया गया। राजद प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने बताया कि यूपी में चुनाव को लेकर पार्टी ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। हाई कमान जैसा आदेश करेगा वैसे ही किया जायेगा। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव की बेटी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की बहू है। इसीलिए रिस्तेदारी को आगे कर राजनीति को कम तवज्जों दे रहे है।
इसी तरह कांग्रेस भी बिहार की तर्ज पर यहां गठबंधन करने के बजाए अकेले किस्मत आजमाना चाह रही है। इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद,शीला दीक्षित एवं राज बब्बर जैसे नेताओं को चुनाव की कमान सौप दी है। इस तरह यूपी में यह महागठबंधन धराशाही होता दिख रहा है। इसका लाभ निष्चित रूप से भाजपा एवं सपा को मिलेगा।