छोटे दलों की चांदी, बडी पार्टियों उनकी शर्ते मानने को मजबूर
मुस्लिमों का बन रहा नया गठजोड़
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा भले ही अभी दूर हो लेकिन यहां गठबंधन की खिचडी एक बार फिर पकने लगी है। इस तालमेल में छोटे दलों की चांदी हो गयी है। वहीं बड़ी पार्टियां भी अपनी ताकत का ऐहसास कराने के लिए इन छोटे दलों की शर्तो को मानने के लिए विवश है।
कांग्रेस एवं बसपा ने स्व्यं को इस गठबंधन की राजनीति से दूर रखकर अकेले चुनावी समय में कुदने की तैयारी कर रही है। डेढ दशक से यूपी की सत्ता से दूर भाजपा इस बार सरकार बनाने के लिए छटपटा रही है। इसीलिए वह गठबंधन को तेजी से हवा दे रही है। भाजपा ने मिषन 2017 में 265 प्लस का लक्ष्य तय किया है। इसे लेकर वह पिछडा वर्ग को अपने साथ लाने के लिए तालमेल कर रही है।
अपना दल सांसद अनुप्रिया पटेल को केन्द्र में मंत्री बनाने के बाद भाजपा उन्हें जल्द ही अपनी पार्टी में विलय कराने की तैयारी कर रही है। इसके पीछे भाजपा अनुप्रिया का चेहरा पेश कर कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाना चाह रही है। इसके अलावा भाजपा भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। भासपा का पूर्वाचंल में भूमिहारों में बर्चस्व है। लेकिन यहीं भासपा पूर्व में कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुकी है। लेकिन उस दौरान न तो कांग्रेस बढी और भासपा।
इस बार मुस्लिमों का एक नया गठबंधन बनने जा रहा है, जिसका नेतृत्व एआईएमआईएम के चीफ ओवैसी कर रहे है। इसमें पीस पार्टी, कौमी एकता दल को भी षामिल किया जा रहा है। पीस पार्टी के एक नेता ने बताया कि यह गठबंधन प्रदेष की सभी सीटों पर चुनाव लडेगा। कौमी एकता दल का सपा से विलय रद् होने के बाद यह गठबंधन सपा को हर हाल में हराना चाहता है।
इसी तरह जनता दल यूनाईटेड का भी यूपी में बिसतार हो रहा है। इसमें राजद के साथ ही अपना दल कृश्णा पटेल गुट तथा राश्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का तालमेल हो रहा है। इस फ्रंट में कांग्रेस सहित अन्य छोटे दलों को जोडने की कवायद चल रही है। इसके अलावा यूपी में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी पुनः सत्ता में वापसी के लिए कुछ दलों से तालमेल करना चाहती है। सपा एवं रालोद की दोस्ती की वार्ता अर्से से चल रही है। इन दोनों दलों के बीच चुनावी तालमेल लगभग हो चुका है, जिसकी घोशणा जल्द होने की उम्मीद है।