कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहेगा प्रियंका का प्रचार
लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी में लाने की कांग्रेस की मजबूरी बनती जा रही है। क्योंकि प्रियंका गांधी ने यहां के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में एक बार फिर शीला दीक्षित के नाम की चर्चा तेज हो गयी है।
आगामी विधानसभा को चुनाव को लेकर कांग्रेस यूपी में एक मजबूत चेहरा उतारना चाहती हैं। यह चेहरा ऐसा हो जो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा बसपा प्रमुख मायावती से मुकाबला कर सके।
सूत्रों के मुताबिक छुट्टियों से लौटने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुूल गांधी ने यूपी केसीएम को लेकर स्वयं के साथ ही प्रियंका गांधी के नाम से इनकार कर दिया। इससके बाद कांग्रेस के पास सीमित विकल्प ही बच रहे है।
पूर्व मुख्समंत्री शीला दीक्षित पर एक बार फिर पार्टी दांव लगाने की तैयारी कर रही हैं। षीला दीक्षित को यूपी की कमान सौपने की तैयारी तेज हो गयी है। इसके पीछे तर्क यह है कि वह कन्नौज से सांसद भी निर्वाचित हो चुकी है।
वह उन्नाव की रहने वाली है। इसके अलावा यदि शीला दीक्षित सक्रिय राजनीति में नहीं आती तो उनका क्रेज खत्म हो जायेगा। वहीं टैंकर घोटले के आरोप पर भी वह अपना जवाब नही दे सकेगी।
इसलिए उन्हें सक्रिय राजनीति में आकर इस घोटाले पर लगे आरोपों का जवाब देना होगा। टैंकर मामला राजनीति से प्रेरित बताकर इससे पीछा वह छुड़ा सकती है। वहीं उनकी उम्र और कद के कारण यूपी के नेताओं को भी उनको स्वीकार करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।
वहीं षील दीक्षित के नाम को लेकर कांग्रेस के नेताओं में भी मतभेद है। कुछ नेता इनके पक्ष में है तो कुछ उनके विरोध में है। कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि दिल्ली चुनाव में षीला दीक्षित बुरी तरह हार चुकी हैं। ऐसे में विरोधी इसका फायदा उठा सकते है। इससे पार्टी एकजुट होकर चुनावी मैदान में नहीं लड़ पाएगी।