मनोज पाण्डेय को हटाकर शारदा प्रताप शुक्ला को बनाया मंत्री
लखनऊ। करीब आठ माह बाद अखिलेश सरकार के आज हुए सातवें मंत्रिमण्डल विस्तार में जातीय संतुलन बिठाने की पूरी कोषिष की गयी। जिससे इसका लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में सपा को मिल सके। क्योंकि यह विस्तार आखिरी माना जा रहा है। आज के विस्तार में दो सर्वण दो पिछडे तथा एक मुस्लिम चेहरे को शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज मंत्रिमण्डल विस्तार के ठीक पहले कैबिनेट मंत्री मनोज पाण्डेय को बर्खास्त कर दिया। इनके स्थान पर लखनऊ सरोजनी नगर से विधायक शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बनाया है। इस तरह ब्राम्हणों को खुश करने की कोशिश की गयी। वहीं बलराम यादव की सात दिनों बाद पुनः वापसी कराके यादव वर्ग को साथ लेने का संदेश दिया गया है। क्योंकि सीएम अपने बिरादरी को किसी भी कीमत पर नाराज नहीं होने देना चाहते।
पिछड़ों में ही नारद राय को मंत्री बनाया गया है। यह पूर्वांचल के रहने वाले है। इनके जरिये भूमिहार वोटों को जोडने के साथ ही कौमी एकता दल के प्रभाव को कम करने की कोशिश की गयी। इसी तरह मुस्लिमों रिझाने के लिए सपा ने एक बार फिर जियाउद्दीन रिजवी को भी मंत्री मण्डल में स्थान दिया गया है।
इसके साथ ही सपा सरकार में मुस्लिम मंत्रियों की संख्या नौ हो गयी है। सपा को मुस्लिम वोट बैंक में सेंध को रोकने की चुनौती है इसीलिए जियाउद्दीन रिजवी को लाल बत्ती दी गयी है। लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा को भी मंत्री बनाया गया है। यह सवर्ण वर्ग के साथ ही खत्री समाज के है।
इनके जरिये इस वर्ग को खुश करने की कोशिश की गयी है। इस तरह इस विस्तार में जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर चुनावी लाभ हासिल करने की भरसक कोशिश की गयी है। इसके अलावा इस विस्तार में पूर्वाचंल को विषेश तरजीह दी गयी है। क्योंकि आज पूर्वाचंल के नेता को ही मंत्री बनाया गया है।
बलराम यादव आजमगढ, नारद राय बलिया, जियाउद्दीन रिजवी गाजीपुर के रहने वाले है। राजधानी लखनऊ से अब तक कोई मंत्री नहीं था लेकिन अब यहां से रविदास महरोत्रा एवं शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बनाया गया है। इस बार पष्चिमी उत्तर प्रदेष के किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। पूर्वाचंल को महत्व देने के पीछे बाहुबली मुख्तार अंसारी को प्रभाव को कम करना है।
युवाओं को नहीं मिली जगह
आज के मंत्रिमण्डल विस्तार में जैसा कि कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेष यादव के संघर्श के दिनों के साथी सुनील सिंह साजन, आनंद भदोरिया एवं संग्राम सिंह यादव को महत्व दिया जायेगा। इन्हें भी लाल बत्ती से नावाज जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, आज षपथ लने वालों में अधिकांष मंत्री 50 साल से ज्यादा के है।