लखनऊ। राजधानी लखनऊ में शनिवार का दिन बैठकों के नाम रहेगा। हर राजनैतिक दल पिछले दिनों से तेजी घटे राजनीतिक घटनाक्रम पर मंथन कर आगे की रणनीति बनायेगा। आज एक ओर जहां सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक होगी।
मुख्यतः इस बैठक में पिछले दिनों पार्टी में हुए कौमी एकता दल (कौएद) के विलय पर चर्चा होगी। साथ ही मंत्रिमण्डल के विस्तार एवं उसमें शामिल किए जाने चेहरों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी भी नेता विरोधी दल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य स्वामी प्रसाद मौर्य की बगावत के बाद उपजी परिस्थितियों पर मंथन होगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लखनऊ मण्डल के तहत आने वाले जिलों के पार्टी नेताओं के साथ रणनीति बनायेगी।
दरअसल सपा में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल को लेकर मुख्यमंत्री एवं सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव नाराज चल रहे थे। पार्टी की सर्वोच्च संस्था संसदीय बोर्ड की बैठक में इस मसले पर भी चर्चा हो सकती है।
बैठक में राज्य विधानसभा के उम्मीदवारों की सूची को भी अनुमोदित किया जा सकता है। कुछ दलों से चुनाव पूर्व गठबन्धन पर भी चर्चा की जा सकती है। साथ ही 27 जून को होने वाले मंत्रिमण्डल विस्तार पर भी चर्चा की संभावना है।
उधर, बसपा मुखिया मायावती विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं पार्टी के महासचिव रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के अचानक इस्तीफे के कारण उपजी परिस्थितियों पर मंथन करेंगी। एक तो उनके इस्तीफे के कारण पार्टी को अब नये नेता का चुनाव करना है। माना जा रहा है कि कल की बैठक में नये नेता का चुनाव हो सकता है।
बसपा विधानमंडल दल के नये नेता की दौड़ में इन्द्रजीत सरोज, गया शंकर दिनकर, रामवीर उपाध्याय और अनिल मौर्य के नाम शामिल हैं। श्री सरोज और श्री दिनकर दलित वर्ग के हैं। वहीं बागी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कथित रूप से दर्जनभर विधायको के जाने को रोकना भी बसपा नेतृत्व के सामने चुनौती है।
दोनो पार्टियों की बैठक आज पूर्वान्ह 11 बजे उनके कार्यालयों में शुरु हो रही है। वहीं श्री मौर्य ने अपने समर्थकों की बैठक आगामी एक जुलाई को बुलाई है। इस बैठक में कई बसपा विधायक भी हिस्सा लेंगे।
श्री मौर्य आज दिल्ली में हैं। उनकी कुछ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं से भी मिलने की अटकलें लगायी जा रही हैं। वह कल लखनऊ वापस आयेंगे। यह भी चर्चा है कि एक जुलाई को श्री मौर्य नयी पार्टी के गठन की भी घोषणा कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने अभी अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है।
बसपा छोडने के बाद उनके सपा में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रहीं थी। श्री मौर्य की अपनी बिरादरी में काफी पकड मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में पिछडों की कुल आबादी में से करीब साढे आठ फीसदी जनसं या मौर्य या इनसे जुडे शाक्य, कोयरी, कुशवाहा आदि बिरादरी की है।