लखनऊ। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के परिवार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सत्ता के अलग अलग धु्रवो के बीच टकराव की नौबत आ रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के पुत्र धर्मेन्द्र यादव की इच्छा के विरुद्ध षिवपाल सिंह यादव ने कल पार्टी मुख्यालय पर कौमी एकता दल का सपा में विलय करा दिया।
इसकी कुर्वानी राज्य सरकार के मंत्री बलराम यादव को झेलनी पडी। इस तरह अखिलेश यादव ने एक बार फिर संदेष देने की कोषिष की है।
सपा सरकार में बलराम यादव की बर्खास्तगी कोई पहली नहीं है इससे पहले भी कई मंत्रियों पर गाज गिर चुकी है। अखिलेश सरकार ने रघुराज प्रताप सिंह, मनोज पांडेय समेत आधा दर्जन मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं।
लेकिन सवाल यह है कि मुख्यमंत्री ने अपने चाचा षिवपाल सिंह यादव पर कार्यवाही क्योंकि नहीं की। जबकि उन्होंने ही मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में विलय कराया था। इससे पूर्व मथुरा के जवाहर बाग की हिंसा में भी षिवपाल सिंह यादव का नाम आया था तब भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
मुख्तार के सपा में शामिल होने से सीएम अखिलेश यादव नाराज हैं। कहा जा रहा है कि मुख्तार को सपा में शामिल कराने में बलराम सिंह यादव ने अहम भूमिका निभाई थी। इस घटना क्रम के साथ सीएम परिवार की आपसी कलह भी खुलकर सामने आ गई है। इससे पहले भी अखिलेश यादव राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, अंबिका चौधरी, शिव कुमार बेरिया, नारद राय, शिवाकांत ओझा, आलोक साक्य, योगेश प्रताप सिंह, पवन पाण्डेय, को हटा चुके है। इसके साथ ही वह कई मंत्रियों के विभाग भी बदल चुके है।