लखनऊ। यूपी में लंबे समय से सियासी बनवास झेल रही कांग्रेस मिशन 2017 फतह के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को सूबे की कमान सौंपने की तैयारी कर रही है। लेकिन जितिन प्रसाद के लिए यूपी की राह आसान नहीं है क्योंकि यहां पर उन्हें मुलायम सिह यादव एवं मायावती से सीधे टक्कर लेनी होगी।
कांग्रेस हाईकमान ने यूपी प्रभारी की कमान पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को सौंपने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के लिए तलाश तेज कर दी है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का हटना लगभग तय है।
इस पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, जितन प्रसाद, प्रमोद तिवारी, राजेश त्रिपाठी सहित कई नाम चल रहे है। लेकिन जितिन प्रसाद के नाम पर लगभग सहमति बनने की चर्चा है। लेकिन जितिन के समक्ष कई चुनौतियां है। यहां पर जंबू कार्यकारिणी को छोटा कर उसमें तालमेल बिठाना होगा।
संगठन को भी बुथ स्तर तक पहुंचाना होगा। इसके साथ ही दो दशक से यूपी में सियासी पारी खेल रही सपा बसपा के दिग्गज मुलायम एवं मायावती से उन्हें मुकाबला करना होगा। इनके सामने लोग जितिन का कद कम आकेंगे। ऐसे में ब्राम्हण वोट का झुकाव कैसे कांग्रेस की ओर होगा।
जितिन का पलडा इसलिए भी भारी है कि वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतेंद्र प्रसाद के बेटे है। जितिन राहुल के साथ केदारनाथ यात्रा में भी थे. फिर राहुल के नुमाइंदे के तौर पर यूपीए सरकार में मंत्री बने, थे।