लखनऊ। तीन दशक से यूपी की सत्ता से दूर कांग्रेस में खोयी ताकत हासिल करने की गजब की छटपटाहट है। इसीलिए कांग्रेस अपने पुराने फार्म में लोटकर ब्राम्हण, मुस्लिम एवं दलित गठजोड को दुरूस्त करना चाहती है।
यूपी में नैया पार लगाने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बतौर मुख्यमंत्री पेश करना चाहती है। इस नाम को लेकर कांग्रेसियों में ही आम राय नहीं बन पा रही है।
दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली की राजनीति में आने से पहले वह यूपी में 3 बार लोकसभा चुनाव हार चुकी थीं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस लहर में ही शीला दीक्षित 1984 में कन्नौज सीट से लोकसभा सांसद बनीं थी।
इसके अलावा उन पर दिल्लाी की सीएम रहते हुए करीब 400 करोड के टैंकर घोटाले का आरोप लग चुका है। लेकिन पार्टी में चुनाव प्रबंधन का काम देख रहे प्रशांत किशोर एवं प्रदेश प्रभारी चाहते है कि शीला दीक्षित को यूपी में कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाए। इनका तर्क है िकवह ब्राह्मण वोटर्स को भी आकर्षित कर सकेंगी।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस का एक बडा तबका शीला दीक्षित की दोवदारी का विरोध कर रहा है। इन नेताओं ने पार्टी हाईकमान से षिकायत कर यूपी के लिए प्रदेश से ही कोई बडा चेहरा प्रपोज करने का अनुरोध भी किया है।
इन नेताओं का कहना है कि यूपी में तीन बार चुनाव हारने वाले को यदि हम सीएम का चेहरा बनाते है तो इसका गलत संदेश जायेगा। यह नेता चाहते है कि प्रियंका गांधी यूपी की कमान संभाले।