नई दिल्ली। गुरुवार को आस्ट्रेलिया ने एशियाई चैम्पियन भारत को 4-2 से हराकर अजेय रहते हुए अपनी स्थिति मजबूत की थी। आस्ट्रेलिया इस मैच से पहले ही फाइनल में पहुंच चुका था। भारत के खाते में सात अंक हैं। दूसरी ओर, आस्ट्रेलिया ने चार मैच जीते हैं, एक ड्रॉ रहा है। उसके पास 13 अंक हैं।
इस मैच के ड्रॉ होने पर भारत आसानी से फाइनल में पहुंच जाता लेकिन किसी एक टीम के हक में परिणाम जाने पर उसके लिए समीकरण बदल जाते। भारत की उम्मीद के मुताबिक बेल्जियम ने ब्रिटेन को 3-3 की बराबरी पर रोक दिया।
ब्रिटेन अगर जीत जाता तो वह 8 अंकों क साथ फाइनल में पहुंच जाता। दूसरी ओर, इस मैच में अगर बेल्जियम की जीत होती तो भारत तथा बेल्जियम के सात-सात अंक हो जाते और तब जाकर गोल अंतर के लिहाज से फाइनल में पहुंचने वाली टीम के नाम का फैसला होता।
गोल अंतर से भी बात नहीं बनती तो फिर पूल मैच में विजयी रहने वाली टीम को फाइनल खेलने का मौका मिलता। ऐसे में बेल्जिमय बाजी मार जाता क्योंकि उसने भारत को पूल मैच में हराया था।
बहरहाल, भारत फाइनल में पहुंच चुका है लेकिन खिताब तक पहुंचने के लिए उसे बेहतरीन हॉकी दिखानी होगी। बिल्कुल वैसी ही, जैसी उसने 13 बार के चैम्पियन आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और खासकर चौथे क्वार्टर में दिखाया था।
खेल की गुणवत्ता और रफ्तार में भारतीय टीम पहले और दूसरे क्वार्टर में कहीं नहीं दिखी थी। अगर उसने फिर से यही स्तर दिखाया तो फिर आस्ट्रेलिया के हाथों उसकी बड़ी हार तय है लेकिन अगर उसने थोड़ी सी भी प्रतिस्पर्धा दिखाई तो फैसला उसके हक में आ सकता है।