नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संसदीय सचिव बिल को लौटा दिया है।
अब इन विधायकों को चुनाव आयोग को जवाब देना होगा कि इनकी सदस्यता खत्म क्यों न की जाए। अगर आयोग इनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो उन 21 सीटों पर फिर से चुनाव भी हो सकते हैं। इस बिल के रिजेक्ट होने से दिल्ली सरकार फिलहाल मुश्किल में फंस गई है।
जानकारी के अनुसार, इस बिल के नामंजूर होने से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाराज हो गए और उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा है। विधेयक को मंजूरी न मिलने से केजरीवाल और उनकी पार्टी बिफरी हुई है।
आप नेताओं ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि राष्ट्रपति ने केंद्र की सिफारिश पर विधेयक खारिज किया। केजरीवाल ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी बला क्या है।
हमने विधायक को थोड़ी एक्स्ट्रा जिमेदारी दी, हम उन्हें कोई तनख्वाह, कोई सुविधा नहीं दे रहे हैं। अगर कोई विधायक मुफ्त में काम कर रहा है तो मोदी जी को क्या दिक्कत है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, मोदी जी कहते हैं कि सोनिया गांधी संसदीय कार्यवाही को चलने नहीं दे रही हैं क्योंकि वह हार को पचा नहीं पा रही हैं।
मोदी जी को दिल्ली की हार पच नहीं रही है, तभी वो हमें काम नहीं करने दे रहे हैं। केवल दिल्ली के संसदीय सचिवों को क्यों खारिज कर रहे हैं। जबकि हरियाणा, नागालैंड, राजस्थान, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों में भी संसदीय सचिव हैं। उन्हें आम आदमी पार्टी से डर लगता है। राष्ट्रपति के पास तो फाइल भी नहीं जाती।