काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से अगवा भारतीय महिला को मुक्त कराने के लिए अफगानिस्तान व भारत की सरकारों ने शनिवार को हर संभव प्रयास किया, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था आगा खां नेटवर्क के लिए काम करने वाली जूडिथ डिसूजा (40) को काबुल के काला-ए-फतुल्ला इलाके से गुरुवार आधी रात बंदूकधारियों ने अगवा कर लिया था। वह अपने मित्र के घर से रात का खाना खाकर अपने घर लौट रही थीं।
अफगानी अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी संगठन ने उसे अगवा करने की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि फिरौती वसूलने के उद्देश्य से कोई आपराधिक गिरोह उसे अगवा कर सकता है।
अफगानिस्तान में फिरौती के लिए अपहरण बेहद आम है और आपराधिक गिरोहों ने विदेशियों का अपरहण कर लाखों डॉलर बनाए हैं।
इस बात का भी डर सता रहा है कि अपराधी बंधकों को आतंकवादियों के हाथ बेच सकते हैं, जिसके बाद मामला और जटिल हो सकता है। आतंकवादी संगठन ऐसे में फिरौती के अलावा, आतंकवादियों को जेल से रिहा करने की भी मांग कर सकते हैं।
भारतीय अधिकारियों ने हालांकि महिला का अपहरण तालिबान या उसके सहयोगी संगठन द्वारा करने की संभावना को खारिज नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि उनके पास डिसूजा के बारे में कोई ताजा जानकारी नहीं है, लेकिन उन्हें छुड़ाने के लिए प्रयास जारी हैं। उनके भाई जेरोम डिसूजा ने ट्वीट किया, “भारत व अफगानिस्तान की सरकार उन्हें छुड़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयासत है।”
फेसबुक पेज ‘ब्रिंग बैक जूडिथ’ तथा ट्विटर पर उनके शुभेच्छु उन्हें सुरक्षित मुक्त कराने के लिए दोनों सरकारों से अपील कर रहे हैं।
मानवता की भलाई के लिए अफगानिस्तान गईं डिसूजा को छुड़ाने के लिए चेंज डॉट ओआरजी पर एक ऑनलाइन याचिका दायर की गई है। डिसूजा ने कथित तौर पर एनजीओ के लिए एक साल के लिए काम किया और जल्द ही भारत आने वाली थीं।
पीड़िता की मां ग्लोरिया डिसूजा ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार हमारी बेटी को मुक्त कराए।” इस पूरे मामले पर काबुल में भारतीय दूतावास अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है।