नयी दिल्ली| कोई उन्हें ‘नजफगढ़ का तेंदुलकर’ कहता है तो कोई ‘मुल्तान का सुल्तान’, सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को ये नाम अपनी तूफानी बल्लेबाजी की बदौलत मिले। करीब एक दशक तक अपने बल्ले से गेंदबाजों में दहशत कायम करने वाले सहवाग अब कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चौकों-छक्कों की बरसात करते नजर नहीं आएंगे।
वीरू ने मंगलवार को अपने 37वें जन्मदिन पर क्रिकेट को अलविदा कह दिया। बढ़ती उम्र और आंखों की कमजोर रौशनी का असर पिछले कुछ सालों से सहवाग की फॉर्म पर भी दिखा। दो साल से भारतीय टीम से बाहर रहने के बाद आखिरकार वीरू ने क्रिकेट को बाय-बाय कहना उचित समझा। इतिहास हमेशा सहवाग को भारत के सबसे आक्रामक बल्लेबाज के रूप में याद रखेगा।
वींरेंद्र सहवाग की पहचान हमेशा एक ऐसे मस्तमौला और बेखौफ बल्लेबाज के रूप में रहेगी, जिसका लक्ष्य हर गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाना रहा। वह पहली गेंद का सामना कर रहे हों या शतक के करीब हों, उन्होंने कभी अपनी आक्रामकता से समझौता नहीं किया। उनके पास सचिन और द्रविड़ जैसी बेहतरीन तकनीक भले ही नहीं थी, लेकिन उनकी आंखों का बल्ले से इतना गजब तालमेल था कि गेंद आते ही बाउंड्री से पार पहुंच जाती थी।
श्रीलंका के खिलाफ मुंबई टेस्ट मैच में सहवाग ने धुआंधार बल्लेबाजी की। उन्होंने इस टेस्ट में सिर्फ 254 गेंदों में 40 चौकों और सात छक्कों के साथ 293 रन ठोक दिए। हालांकि वह मुरलीधरन की गेंद पर आउट होकर तिहरे शतक से चूक गए।
2006 में पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में वीरू ने शोएब अख्तर एंड कंपनी की जमकर धुनाई की। इस टेस्ट में उन्होंने 247 गेंदों में 47 चौकों और एक छक्के के साथ 254 रन की आतिशी पारी खेली।
सहवाग ने अचानक संन्यास का फैसला अगले साल मास्टर्स चैंपियंस लीग टी-20 में खेलने के लिए लिया है। सहवाग ने इस लीग में खेलने के लिए दुबई में सोमवार को करार किया, जब इसकी लॉचिंग थी। इस लीग में सिर्फ रिटायर्ड क्रिकेटर ही खेल सकते हैं| इसलिए सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने में देरी नहीं की।
सहवाग इस समय रणजी ट्रॉफी में हरियाणा की ओर से खेल रहे हैं। वह टीम के कप्तान हैं और उन्होंने कहा कि भले ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समेत सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया है, लेकिन वह रणजी ट्रॉफी का पूरा सत्र खेलेंगे।
वीरेंद्र सहवाग 2013 से भारतीय टीम से बाहर थे। उन्होंने भारत के लिए आखिरी वनडे मैच 03 जनवरी 2013 को कोलकाता में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। 01 अप्रैल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ ही वनडे आगाज करने वाले वीरू ने अपने आखिरी मैच में 31 रन बनाए थे।
भारतीय टीम 2004 में जब पाकिस्तान दौरे पर गई तो सहवाग ने मुल्तान में 309 रन बनाकर भारतीय क्रिकेट में नया इतिहास रचा था। वह टेस्ट मैचों में तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे। इस तूफानी पारी से उन्हें ‘मुल्तान का सुल्तान’ नाम से पुकारा जाने लगा। इसके बाद उन्होंने 2008 में चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की पारी खेली, जो आज भी भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में किसी बल्लेबाज का सर्वाधिक स्कोर है।