राजेश सिंह
लखनऊ। नरेन्द्र मोदी को पीएम एवं नितीश कुमार को तीसरी बार सीएम बनाने में मुख्य भूमिका अदा करने वाले प्रशांत किशोर को कांग्रेसी पचा नहीं पा रहे है। उनके सुझावों एवं सलाह की लगातार अनदेखी की जा रही है। ऐसे मे कांग्रेस का कैसे बेड़ा पार होगा। अनुशासन के नाम पर पार्टी कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री के सामने ही भिड रहे हैं।
तकरीबन तीन दषक से राजनीतिक बनवास झेल रहे कांग्रेस हाईकमान ने यूपी में पार्टी के उद्धार के लिए प्रशांत को बुलाया। इसे लेकर पीके ब्लाक स्तरीय कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश स्तरीय नेताओं के साथ अलग अलग बैठके कर रहे हैं।
लेकिन उनके सुझाव कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहे है। यही वजह है कि पार्टी अभी तक यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पा रही है। यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दलों ने शंखनाद कर दिया है लेकिन कांग्रेस खेमे में अभी तक चुनावी मुद्दे तक तय नहीं हो सके हैं।
प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने और प्रियंका वाड्रा को चुनावी कैंपेन लीड करने का सुझाव दिया था। लेकिन उनके इस सुझाव को दरकिनार कर दिया गया। इसी तरह उन्होंने प्रदेष अध्यक्ष के पद पर निर्मल खत्री की जगह किसी ब्राह्मण नेता को पार्टी प्रमुख बनाने का सुझाव दिया था। यह भी कांग्रेस के गले नहीं उतरा।
वहीं कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि प्रशांत किशोर पार्टी के अंदरुनी कार्यों में भी दखलअंदाजी बढ़ रही है।.अब पार्टी यह रही है कि पी के की भूमिका उत्तर प्रदेश के चुनावों में घोषणा पत्र तैयार करने में सुझाव देने तक ही सीमित होनी चाहिए।