नई दिल्ली। भारत ने सोमवार को पहला स्वदेशी प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान (आरएलवी) के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण कर लिया है। यह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 के सुबह सात बजे उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद बताया, ‘‘अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया। ऐसा पहली बार हुआ है जब इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया है। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा।
हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा। आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है।
इस यान को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह लागत कम करने, विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है।
इसरो ने कहा कि आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान ‘टू स्टेज टू ऑर्बिट’ (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, इसे एक ऐसा उड़ान परीक्षण मंच माना जा रहा है, जिस पर हाइपरसोनिक उड़ान, स्वत: उतरने और पावर्ड क्रूज फ्लाइट जैसी विभिन्न अहम प्रौद्योगिकियों का आकलन किया जा सकता है।
‘विमान’ जैसा दिखने वाला 6.5 मीटर लंबा यह यान एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा गया। इस यान का वजन 1.75 टन था।