लखनऊ। राजनीति में क्षेत्रीय दलों का जलवा कायम है। राज्यों में इन दलां के आगे भाजपा एवं कांग्रेस जैसी पुरानी एवं राष्ट्रीय दल नतमस्तक होते दिख रहे है।
जिन राज्यों में क्षेत्रीय मजबूत नहीं है वहां पर तो कांग्रेस भाजपा कुछ असर दिखा पा रही है लेकिन जहां पर यह दल मजबूत है वहां इनका बस नहीं चल रहा है। ऐसा ही कुछ पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में देखने को मिला।
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर गौर करे तो असम में भाजपा एवं पाडिचेरी में कांग्रेस की सरकार बनेगी। यहां पर क्षेत्रीय दलों मजबूत नहीं थे। लेकिन बात करे पष्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने दोबारा बहुमत हासिल किया है।
यहां पर 35 साल तक अंखड राज करने वाले वाम दलों के साथ ही कांग्रेस एवं भाजपा की दाल नहीं गली। इसी तरह तमिलनाडु में भी जय ललिता के आगे भाजपा एवं कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं कर पाये।
केरल में वाम दलों ने किसी तरह अपनी इज्जत बचायी। लेकिन भाजपा एवं कांग्रेस यहां भी बेअसर रहे। वहीं पाडिचेरी में कांग्रेस की वापसी हुई। यहां भी क्षेत्रीय दलों की मजबूती नहीं थी।
इससे पूर्व बिहार एवं दिल्ली में भी भाजपा कांग्रेस को करारी हार मिल चुकी है। यहां भी क्षेत्रीय दलों का जलवा रहा। यूपी में क्षेत्रीय दल सपा बेहद मजबूत है। बीते दो दषक से यही दोनों दल बदल बदल कर सरकार बना रहे है।
भाजपा एवं कांग्रेस तीसरे एवं चौथे नबंर की पाटिर्या है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के प्रभाव को भाजपा कांग्रेस कितना रोक पायेंगे यह भी भविष्य ही बतायेगा।