राजेश सिंह
लखनऊ। सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच वोटों को लेकर खीचतान जारी है। अधिकांश राजनीतिक दलों के बीच दलितों एवं पिछडे वोट बैंक को लेकर रस्सा कसी चल रही है।
लेकिन करीब ढाई दशक से यूपी में राजनीतिक बनवास झेल रही कांग्रेस की निगाहें इससे इतर सर्वणों पर टिकी हुई है। इसमें वह ब्राम्हणों पर विषेश ध्यान दे रही है।
क्योंकि यह वोट बैंक बीते दो दशक से हर चुनाव में दल बदल कर मतदान करता आ रहा है। लेकिन यह वर्ग जिस दल के साथ रहा उसी के हाथों में सत्ता रही। सूबे में करीब 12 प्रतिशत ब्राम्हण है।
जो कभी कांग्रेस का एक मुफीद वोट बैंक माना जाता था। लेकिन 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान यह वोट बैंक भाजपा के खेमे में आ गया है। लेकिन राम मंदिर आंदोलन ठंडा होने के बाद यह वर्ग प्राय: हर चुनाव में दल बदल कर देता है।
इसी लिए कांग्रेस चाहती है यह वोट बैंक फिर कांग्रेस के साथ जुडे। इसके लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को आगे करने की तैयारी चल रही है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार शीला दीक्षित के जरिये ब्राम्हणों को पार्टी से जोडने की सुझाव कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन देख रहे प्रशांत किशोर ने दिया है। क्योंकि षीला दीक्षित कई बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी और बेहतर शासन चलाया। उनकी साफ सुथरी छवि भी ब्राम्हणों को जोडने में मददगार साबित होगी।