लखनऊ। प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षे़त्र में काफी सराहनीय कार्य किये हैं। लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ कहीं जाने वाली नर्सो की बेहद कमी है। दस साल पहले के विभाग के सृजित पद भी आधे से अधिक खाली हैं। लेकिन सरकार ने करीब चार साल के कार्यकाल में एक भी स्थायी नर्स की भर्ती नहीं की। वहीं अब सविंदा पर नर्सो की भर्ती करने के लिए दूसरे प्रदेशों की कंपनियां यहां डेरा डाले हुए हैं।
नर्सेज संघ ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ आगामी 14 मई से आंदोलन करने का ऐलान किया है। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के अधीन करीब 7500 बेड है। मानक के अनुरूप हर बेड पर तीन नर्से होनी चाहिए। इस तरह करीब 23 हजार नर्सो की आवश्यकता है।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा करीब एक दशक पहले नर्सो के 6500 पद घोषित किये गए थे। इसमें भी वर्तमान में करीब तीन हजार नर्से स्थायी तौर पर कार्य कर रही है। इस तरह करीब 3500 पद रिक्त चल रहे है।
प्रदेश सरकार ने रिक्त पदों के सापेक्ष संविदा एवं ठेकेदारी प्रथा के तहत नर्सो को भरने का काम कर रही है। बीते चार साल करीब तीन हजार नर्सो की भर्ती संविदा एवं ठेकेदारी प्रथा के तहत की जा चुकी है। इतना ही नहीं नर्सो को संविदा पर रखने के लिए मद्रास, मुम्बई एवं हैदराबाद की कंपिनया डेरा डाले हुए हैं।
राजकीय नर्सेज संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि संविदा पर रखी गयी नर्सों की वजह से विभाग की बदनामी हो रही है। चाहे वह शौचालय में प्रसव का मामला हो या फिर वहां टायलेट में क्लीपिग तैयार की घटना हो या फिर दवा चोरी का मामला हो। इन सभी मामलों में संविदा पर नर्सो का होना पाया गया।
उन्होंने बताया कि रिक्त एवं मानक के अनुरूप नर्सो की भर्ती सहित कई मांगों को लेकर राजकीय नर्सेज संघ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ आगामी 14 मई से आंदोलन करने जा रहा है। क्योंकि बार बार अनुरोध के बावजूद सरकार नहीं चेत रही है। उन्होंने बताया कि नर्सो की कमी से मरीजों को कायदे का इलाज नहीं मिल पा रहा है।