नारायण नोनिया, बिलासपुर। महाराष्ट्र के सुखे प्रभावित लोगों पर बॉम्बे हाई कोर्ट का चिंताजनक बयान देना पानी पीने के लिए तरस रहे लोगों के जख्म में मरहम लगाने के समान है। एक तरफ जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है वहीं दुसरी ओर आईपीएल मैचों में लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है।
इस समय माहाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में पानी की विकराल समस्या पैदा हो गया है लोग मीलों दुर पैदल चलकर पानी का इंतजाम कर रहे है। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैचों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। सुखा मौजूदा सरकारों की देन नहीं है। सरकारों की दिक्कत ये है कि वे मुआवजे राहत कार्य को सुखे का समाधान सम.हजयती रही है। जिस संकट को इंसानों ने मिलकर कई साल से बुलाया है वो एक दिन या एक साल में नहीं जाएगा।
महाराष्ट्र के मराठावाडा के लोगों के जो तस्वीर बयां करती है कि पानी का सर्वनाश हुआ है। पानी बटोरने की रचनात्मकता का सर्वनाश नही हुआ। जब लोग इस कदर जान जोखिम में डालकर पानी ला सकता है। गंदा पानी पी सकते है, तो यहीं लोग एक दुसरे का हाथ थाम कर पानी के इस संकट को समाधान में क्यों नहीं बदल सकते है। इन जगहों से पानी को लेकर कोई बड़ा सामाजिक राजनीतिक आन्दोलन क्यों नहीं खड़ा हो सका है। जब लोग कुए में उतर सकते है तो कुए से निकल क्यों नई सकते है। केंद्रीय जल आयोग की वेबसाइट के अनुसार देश भर में सबसे अधिक डैम यानी बांध माहाराष्ट्र में हैं। 1845 बांध है। इनमें से 1693 बांध बन चुके है और बन रहे है। फस्ट पोस्ट पर तुषार धारा ने लिखा है कि माहाराष्ट्र ने सैकड़ों बांध बनाने पर करोड़ो फॅूक दिये है। मगर इनसे कुछ लाभ नहीं हुआ। ठेकेदारों की किस्मत तो बदल गई मगर किसान की नहीं। हम अक्सर सोचते है कि पानी का संकट किसी दुर दराज इलाके का है। हमारे आसपास तो कभी आएगा नहीं। रविवार को जब पानी एक्सप्रेस राजस्थान के कोटावर्कशॉप से पुणे के मिरज पहुंची तो स्थानिय नेताओं ने फूल माला च.सजय़ाकर स्वागत किया। जैसे पहली बार भारत में रेल चली हो। इस ट्रेंन के लिए रेल मंत्रालय और माहाराष्ट्र सरकार ने मिलकर कफी मेहनत कि है। पुणे के मिरज से.सजयाई कीमी दूर पानी का स्त्रोंत है वहॉ से पानी लाकर अन टैंकारों में भरा जाएगा। इसके लिए सरकार नई पाइपलाइन बिछा रही है।