नई दिल्ली। सांसद चाहते हैं कि उनके वेतन व भत्ते में 100 फीसदी का इजाफा हो। इसकी सिफारिश एक संसदीय समिति भी कर चुकी है मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसपर एतराज है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी ने कहा है कि अपने सैलरी पैकेज के बारे में सांसदों को खुद फैसला नहीं करना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने (पीएम मोदी ने) इसके बदले नया रास्ता सुझाया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी का मानना है कि सांसदों की सैलरी का फैसला पे कमीशन या उस जैसी कोई और बॉडी करे, जो वक्त के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी करती रहे।
मोदी ने सुझाव दिया है कि सांसदों की सैलरी को राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या कैबिनेट सेक्रेटरी जैसे पद के वेतन में होने वाली बढ़ोतरी से लिंक कर देना चाहिए।
कई सांसदों का मानना है कि खर्च और महंगाई बढ़ने के कारण वेतन बढ़ाने की जरूरत है। इस मुद्दे को पिछले दिनों राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सदस्य नरेश अग्रवाल उठाया था।
संसदीय समिति ने सांसदों की सैलरी 50 हजार से एक लाख रुपए हर महीने करने की सिफारिश की है। कॉन्स्टिट्यून्सी अलांउस भी 45 हजार से 90 हजार करने की बात कही गई है।
अगर यह सभी सिफारिशें मान ली जाती हैं तो सांसदों का पैकेज 100040 रुपए महीने से बढ़कर दोगुना यानी 2 लाख 80 हजार रुपए हर महीने हो जाएगा। पिछली बार 2010 में सांसदों के वेतन में इजाफा किया गया था।
कुछ सांसदों का कहना है कि उनकी सैलरी कम से कम कैबिनेट सेक्रेटरी से ज्यादा हो जबकि कुछ ने इसे दोगुना करने की मांग की। गौर हो कि सांसदों की सैलरी और अलाउंस पर बनी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के चेयरमैन गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ हैं।