नई दिल्ली। बिहार की तर्ज पर कांग्रेस अब यूपी विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिकता का जवाब जातीय समीकरणों से देगी। इसके लिए पार्टी जल्द प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पुनर्गठन कर सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नई टीम में समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जाएगी।
पार्टी के पुनर्गठन में यूपी चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर के सुझावों को भी ध्यान में रखा जाएगा। नई टीम का ऐलान 30 मई से पहले होने की उम्मीद है। यूपी में ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरणों को फिर जीवित करना चाहती है कांग्रेस। इसके साथ पासी मतदाता भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति के केंद्र में रहेंगे।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि प्रशांत किशोर किसी ब्राह्मण नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और शीला दीक्षित सहित कई नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं। दीक्षित का प्रदेश कांग्रेस के नेता विरोध कर रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस के किसी सवर्ण नेता को चुनाव में चेहरा बनाएगी।
प्रशांत किशोर का मानना है कि जातीय समीकरणों के अलावा किसी दूसरे हथियार से भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे का मुकाबला नहीं किया जा सकता। दलित और ओबीसी समुदाय के पास कई नेता है। ऐसे में सवर्ण और मुस्लिम के साथ दूसरी जातियों को मिलाकर मजबूत गठजोड़ बन सकता है।
प्रशांत मानते हैं कि यूपी चुनाव अगले लोकसभा चुनाव में बेहद अहम भूमिका निभाएंगे। इस चुनाव में भाजपा बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम रहती है, तो उसके लिए लोकसभा आसान नहीं होगा। वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरता है, तो लोकसभा में उम्मीद बढ़ जाएगी। इसलिए कांग्रेस को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लोकसभा की तरह लड़ना चाहिए।