उज्जैन| सामान्यतः अपने मे मगन रहने वाले और लोगों से दूर रहने वाले अघोरी और तांत्रिक उज्जैन सिंहस्थ में खूब देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में इनके बारे में जानने का हर व्यक्ति का मन ज़रूर करता है| तो आइये जानते हैं इनके बारे में कुछ ख़ास बातें…
गुरु कीनाराम बाबा की शिष्य परंपरा के संत महामंडलेश्वर बालयोगेश्वरानंद गिरि (अघोरी) महाराज का बताते हैं कि-
-अघोरियों और अघोर परंपरा के बारे में जो कुछ भी अभी तक बताया जा रहा है या अलग-अलग तांत्रिक बता रहे हैं वो झूठ है। अघोर तंत्र के साधकों की पहली शर्त ही ये होती है कि वे अपनी साधनाओं का खुलासा नहीं कर सकते।
-अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो वे अघोरी कतई नहीं है। जो अघोरपंथ की बात कर रहे हैं वे मिनरल वॉटर पी रहे हैं, जबकि अघोरी तो नाली का पानी पीकर भी संतुष्ट हो जाते हैं। जो पानी-पानी में भेद कर रहे हैं वे अघोरी नहीं हो सकते।
ये है अघोरी का अर्थ-
अघोर मतलब जो कठिन नहीं है यानी सरल। जो इंसान अच्छे बुरे, छोटे-बड़े, मान-अपमान और सुख-दुख का भेद मिटाकर हमेशा एक सा व्यवहार करे, वो ही अघोरी है।